राज्य महाराष्ट्र में अवैध निर्माण- कनेक्शन और टैंकर माफियाओं से लोगों का जीना हुआ मुहाल।ठाणे, कलवा, मुंब्रा, दिवा हर तरफ पानी की भारी किल्लत।
मुंबई के करीब ही बसा ठाणे शहर पिछले कुछ सालों में ऐसे बदला है कि अब वह मुंबई से पीछे नहीं है। बढ़ती आबादी और आवास योजनाओं के चलते ठाणे शहर में जलापूर्ति योजना पर बहुत भार पड़ा है। शहर के कई हिस्सों में लोगों को पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है।
मीनाक्षी विजय कुमार भारद्वाज/मुंबई राज्य महाराष्ट्र में अवैध निर्माण- कनेक्शन और टैंकर माफियाओं से लोगों का जीना हुआ मुहाल।ठाणे, कलवा, मुंब्रा, दिवा हर तरफ पानी की भारी किल्लत।मुंबई/महाराष्ट्र: मुंबई के करीब ही बसा ठाणे शहर पिछले कुछ सालों में ऐसे बदला है कि अब वह मुंबई से पीछे नहीं है। बढ़ती आबादी और आवास योजनाओं के चलते ठाणे शहर में जलापूर्ति योजना पर बहुत भार पड़ा है। शहर के कई हिस्सों में लोगों को पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। लोगों को टैंकर के भरोसे रहना पड़ रहा है। 5,645 करोड़ रुपये के भारी भरकम बजट वाले 147 वर्ग किलोमीटर में फैले ठाणे मनपा क्षेत्र में अवैध निर्माण, कचरा, ट्रैफिक जाम के साथ ही पानी की कमी बड़ी समस्या है।मनपा क्षेत्र में ठाणे शहर, कलवा, मुंब्रा, दिवा और शिलफाटा का समावेश है। इसमें पॉश, रिहायशी इलाकों सहित आदिवासी पाड़ा, ग्रामीण इलाके, झोपड़पट्टी, पहाड़ी परिसर सभी का समावेश है। कई स्थानों पर एक दिन और कहीं 2 से 3 दिनों में पानी आता है। तमाम भागों में कम प्रेशर से जलापूर्ति की शिकायत हमेशा बनी हुई है। पानी चोरी, रिसाव और अन्य कारणों के चलते प्रतिदिन मिलने वाले पानी में 15 से 20% की कमी बनी रहती है।ठाणे मनपा के पास खुद का पानी का जलाशय नहीं है। 1 अक्टूबर 1982 को मनपा अस्तित्व में आई। उसके बाद से डैम को लेकर मशक्कत शुरू है, लेकिन आज तक डैम नहीं बन पाया है।वर्तमान में ठाणे शहर की जनसंख्या लगभग 27 लाख है। मनपा क्षेत्र में प्रतिदिन 585 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। जबकि 616 एमएलडी कोटा स्वीकृत है। इसमें ठाणे मनपा की खुद की जलापूर्ति योजना से 250, एमआईडीसी से 135, स्टेम प्राधिकरण से 115 और मुंबई मनपा से 85 एमएलडी पानी प्रतिदिन मिलता है। साल 2055 तक की जनसंख्या के मद्देनजर प्रतिदिन 1116 एमएलडी पानी की मांग का अंदाजा अभी से लगाया गया है।बड़े बिल्डरों की नजर अक्सर ठाणे पर पड़ी है। पिछले कुछ साल में शहर का घोड़बंदर रोड नए ठाणे के रूप में विकसित हुआ है। बड़े-बड़े रिहायशी कॉम्प्लेक्स, गगनचुंबी इमारतें यहां बनी। बड़ी संख्या में अभी भी निर्माण कार्य जारी है। घोड़बंदर रोड पर मानपाडा के आगे कासरवडवली, ओवला, आनंदनगर, भायंदरपाड़ा इत्यादि परिसर पानी की किल्लत से जूझ रहा है। कई कॉम्प्लेक्स में प्रतिदिन 8 से 12 टैंकर पानी मंगाना पड़ता है। इन पर 7 से 9 लाख प्रति माह टैंकर के पानी के खर्च के एवज में अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।ठाणे मनपा क्षेत्र में मनपा अधिकारियों की पानी माफिया और टैंकर माफिया के साथ मिलीभगत के आरोप लगातार लगते हैं। मनपा क्षेत्र में वैसे तो सभी तरफ अवैध निर्माण का जाल बिछा है। लेकिन मुंब्रा और दिवा में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुआ है और वर्तमान में भी जारी है। मनपा के जलापूर्ति विभाग की तरफ से पानी चोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। पानी कनेक्शन को खंडित किया जाता है। पंप रूम को सील कर मोटर और पंप की जब्ती की जाती है, लेकिन इसके बावजूद उस पर नियंत्रण नहीं लग रहा है। मुख्य पाइप लाइन से टैप कर टैंकर माफिया कनेक्शन लेते हैं।अप्रैल के पहले सप्ताह में मनपा जलापूर्ति विभाग की तरफ से विशेष ड्राइव में चार दिनों में 212 कनेक्शन हटाए गए हैं। इस दौरान 6 अवैध टैंकर फिलिंग स्टेशन को बंद किया गया। 4 पंप रूम, 9 टंकियों और 2 आरो प्लांट को नष्ट किया गया है। इसके साथ 16 पंपों और मोटरों को जब्त किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनपा क्षेत्र में कुल 13,156 कनेक्शन को काटा गया और 13,837 ग्राहकों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके अलावा 2,374 पंप को जब्त करने और 676 पंप रूम को सील करने की कार्रवाई की गई थी।दिवा की जनसंख्या आज 6 लाख के ऊपर है। अवैध इमारत और चाल का निर्माण धड़ल्ले से हुआ। सस्ते में घर मिलने के चलते लोग यहां आकर बस गए। यहां एक से दो दिन में पानी आता है, लेकिन प्रेशर कम रहता है। करीब 15 साल पहले मनपा की तरफ से दिवा के दातिवड़े में पानी की डेढ़-डेढ़ एमएलडी की दो टंकियां बनी, लेकिन आज तक उसमें पानी नहीं आया। स्थानीय लोगों के आरोप हैं कि टंकियां, तो बनी लेकिन नीचे पंप-संप नहीं लगा और आज टंकी जर्जर हो गई है।कलवा के पारसिक हिल, कारगिल हिल के आसपास बड़े पैमाने पर झोपड़पट्टी है। पानी की टंकी यहां है, लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन ठीक तरह से नहीं होने से लोगों को पानी नहीं मिलता है। 10 एमएलडी पानी बढ़ाने की मांग है, लेकिन आरोप है कि वर्तमान में यहां के पानी को दूसरी तरफ छोड़ा जाता है। इसलिए स्थानीय लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता है।ठाणे मनपा के पास खुद के 2 और ठेके पर लिए गए 5 मिलकर कुल 7 टैंकर हैं। शहर में पानी की मांग की तुलना में मनपा के पास टैंकर काफी कम हैं। इसके उलटे बड़ी संख्या में निजी टैंकर मालिक मनपा क्षेत्र में पानी की प्रतिदिन सप्लाई करते हैं। निजी टैंकर 3 से 6 हजार प्रति टैंकर चार्ज करते हैं। ऐसे में निजी टैंकर बड़े पैमाने पर कमाई करते हैं। आरोप है की उनकी कमाई का एक हिस्सा मनपा अधिकारियों की जेब में जाता है, इसलिए यह व्यवसाय जोरों पर फला-फूला है।शहर में एक तरफ पानी की कमी है, तो दूसरी तरफ किसी न किसी एजेंसी के मरम्मत काम और अन्य रखरखाव काम के चलते पानी की आपूर्ति हर सप्ताह बाधित होती है। प्राय: शुक्रवार को शटडाउन होता है, तो शनिवार और रविवार तक पानी सप्लाई पर उसका विपरीत असर बना रहता है।संजय गांधी नेशनल पार्क से सटा बड़ा वन परिसर ठाणे शहर की येऊर पहाड़ी पर है। ठाणे मनपा की सीमा में स्थित येऊर में आदिवासियों की जमीन पर बड़ी संख्या में अमीरों के बंगले बने हैं। लेकिन यहां के आदिवासी पानी के लिए तरसते हैं। स्वतंत्रता के 77 साल बाद भी 13 पाड़ो में रहने वाले मूल निवासी आदिवासियों को नल का पानी नहीं मिल पाया है। गर्मी में बोरवेल में भी पानी नहीं निकलता है। पहाड़ी के झरने तालाब सूख जाते हैं। पानी के लिए यहां की महिलाओं को प्रतिदिन एक से डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। सरकार की हर घर नल योजना के चलते कुछ दूर तक पाइप लाइन बिछाई गई है और प्लास्टिक की टंकी लगाई गई है, लेकिन आज तक उसमें पानी नहीं आया है। मनपा के लोगों का कहना है कि वन परिक्षेत्र में होने के चलते पाइप लाइन बिछाने में बाधा है।मनपा क्षेत्र में पानी की बहुत ज्यादा परेशानी नहीं है। जहां पानी कम मिलता है, वहां मनपा के टैंकर से पानी सप्लाई की जाती है।दिवा में 45 एमएलडी पानी की जरूरत है, लेकिन 25 एमएलडी मिलता है। पानी, टैंकर माफिया और अवैध निर्माणों पर लगाम लगाने में मनपा प्रशासन विफल हुआ है। टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारी की बदली कर दी जाती है।ठाणे मनपा के पानी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में सुधार करना चाहिए। शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए अतिरिक्त पानी मुहैया किया जाना चाहिए। पानी चोरी पर पूरी तरह लगाम लगाना जरूरी है और टीएमसी का खुद का पानी का जलाशय बनाना चाहिए।
आगरा में *मा.केंद्रीय मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल जी तथा जनप्रतिनिधियों की गरिमामई उपस्थिति में, आयुक्त सभागार में,वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु, लो०नि०वि०, के जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित कार्यो की प्रेषित कार्ययोजना की समीक्षा बैठक संपन्न*।
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